विज्ञान एवं
तकनीकी क्षेत्र में पढाई बीच में छोड़ने वाली महिलाओं के लिए कैरियर सम्भावनाये
वर्तमान समय में विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में महिलाये
काफी अध्यन कर के अपना कैरियर निर्माण कर रही है वह चाहे वैज्ञानिक हो या फिर
अनन्य तकनीकी कार्य| ऐसी स्थिति में कैरियर को बीच में छोड़ने वाली महिलाओं के लिए
वापिस से मुख्य धारा में आकार पुनः आगे बढ़ना एक चुनौती होती है| कैरियर: कैरियर को परिभाषित करने के विभिन्न
तरीके हैं जैसे किसी व्यक्ति का उसके जीवन काल में कैरियर शिक्षा, काम और जीवन के अन्य
पहलुओं के माध्यम से एक यात्रा है।
या फिर कैरियर ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी द्वारा दी गई
परिभाषा के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन
काल में "पाठ्यक्रम या प्रगति जीवन के माध्यम से (या जीवन का एक अलग हिस्सा)"
के रूप में जाना जाता है।
किन्तु ऐसा माना जाता है की किसी के जीवन काल में पढाई के
बाद उसके धनार्जन के तरीके ही किसी व्यक्ति के कैरियर में आते है अर्थात धनार्जन का
तरीका ही मुख्य रूप से कैरियर माना जाता है|
भारतीय महिलाओं में से 48 प्रतिशत (29 प्रतिशत की एशियाई औसत की तुलना में) मध्य कैरियर तक पहुँचने
से पहले मुख्य धारा से बाहर हो जाती है जिसके कई कारण है ।
घरेलू उम्मीदें: वर्तमान समय में भले ही ये कहा जाता है की
महिलाओं को घर के बाहर काम करने के लिए घर वालों का सहयोग प्राप्त है| भले ही आज
के दिनों में घरो में कामकाजी महिलाओं घरो के बहार आने के लिए सहयोग किया जा रहा
हो किन्तु यह सहयोग पर्याप्त रूप से अपेक्षित सहयोग नहीं है क्योंकि आज भी घर के
सारे कामो की पूर्ण जिम्मेदारी महिलाओ की ही है साथ ही साथ सामाजिक जिम्मेदारियों
का दायित्व निर्वहन भी महिलाओ को ही करना पड़ता है|
सुरक्षा: सामाजिक असुरक्षा की स्थिति बी महिलाओ के लिए
सीमित रोज़गार के अवसर प्रदान करती है उनकी नेटवर्किंग सीमित होती है जो उनको बेहतर
रोज़गार के अवसरों के लिए बाधा पहुंचाती है
सामाजिक-मनोवैज्ञानिक तनाव: महिलाओं पर सामाजिक एवं
मनोवैज्ञानिक तनाव अत्यधिक होता है परिवार के दायित्वों को निभाते हुए सभी काम
करना होता है जिनमे कुछ स्तर पर महिलाये घर परिवार समाज एवं अपने कार्यो के साथ
तालमेल बैठने की कोशिश करती है भले ही आज परिवार का सहयोग हो लेकिन मनोवैज्ञानिक
दबाव महिला का अकेले ही बर्दाश्त करना होता है|
शिक्षा: पूर्ण रूप से शिक्षित महिला का भी कई बार पारिवारिक
जिम्मेदारियों को निभाने में अमूल समय निकल जाता है ऐसी स्थिति में उनको उनकी
योग्यता के अनुसार काम नहीं मिल पाता है जो की उनमे असंतोष की भावना को जनम देता
है|
स्वास्थ्य: महिलओं की शारीरिक संरचना के अनुसार प्रतिमाह
उनके लिए कुछ ख़ास दिन होते जब उनपर कम काम का बोझ होना चाहिए साथ ही बच्चों को जनम
देना उनका पालन पोषण महिला के लिए विशेष अवसर होते है जो उसके स्वास्थ्य से जुड़े
होते है और इस समय महिला को छूट की ज़रुरत होती है जो की घर एवं बाहर की ज़िम्मेदारी
निभाते हुए उसे नहीं मिल पाती और उसे अपने कैरियर के साथ समझोता करना पड़ता है|
आर्थिक स्थिति: आज की मुख्य धारा से अलग महिलाये उस तबके की
है जिन्होंने अपने बचपन में ख़राब आर्थिक स्थिति से जूझते हुए लिंग भेद को बहुत ही
साफ़ तरीके से महसूस किया है आने वाली पीढ़ी को उस समस्या से बचाने के लिए ये
महिलाएं स्वयं बहुत से काम करती है जिनमे न तो इनको पूरा मानदेय मिलता है और न ही
मानसिक संतोष|
हिंसा % कार्यस्थल पर यौन हिंसा, शारीरिक एव मानसिक प्रताडना
से कई बार अपने कार्य को करते रहने में समस्या आाती है।
तलाकशुदा और अविवाहित लड़कियों के साथ जो दृष्टिकोण रखा
जाता गई वो उनको अपने काम को बीच में छोड़ने पर बाध्य करता है|
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में महत्वपूर्ण
प्रगति हुई है, हालांकि इन क्षेत्रों
में रोज़गार के क्षेत्रों में अभी भी महिलाओ का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। उदारीकरण भारतीय
अर्थव्यवस्था ने शिक्षित शहरी महिलाओं के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा किये है
किन्तु मुख्य धारा से अलग हुई महिलाओं के लिए योग्यता होने के बाद भी रोज़गार के
अवसर बहुत ही कम है जो की वह अपनी सुविधा के अनुसार कर सके|
एक आंकडों के अनुसार महिलाओं की विभिन्ने व्यावसाय में
भागीदारी :
1. निजी उद्योगों में
कर्मचारियों के 23 प्रतिशत,
2. आईटी कंपनियों में
कर्मचारियों के 25 प्रतिशत और
3. बीपीओ में कर्मचारियों
की 50 प्रतिशत
4. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
की 100 कंपनियों के
सर्वे से स्पष्ट है की कुछ ही महिलायें नेतृत्व की स्थिति में है।
5. एक नई रिपोर्ट के
अनुसार, महिलाओं के वरिष्ठ
नेतृत्व के पदों में से केवल 19 प्रतिशत और कुल नियोजित आबादी का सिर्फ 15 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व
करते हैं।
आगे की पढ़ाई के लिए कोई विकल्प नहीं है तो
अपनी विषय विशेषज्ञता के अनुसार महिलाएं कुछ क्षेत्रों में कार्य कर सकती है जिसके
लिए वो दूरस्थ माध्यम से भी कोर्से भी कर सकती है
1. लेखन के लिए फ्री
लांसिंग, अनुवाद, संपादन का कार्य कर सकती है इसके लिए कार्यालय जाने की
भी आवशयकता नहीं है किन्तु इस क्षेत्र में अपने को स्थापित करने के लिए किसी भी
महिला को भाषा और विषय विशेषज्ञता का ध्यान रखना होगा| लेखन करने पर विषय को बेहतर
तरीके से पढना और समझना चाहिए उसके बाद ही कार्य प्रारंभ करना चाहिए कही पर भी ऐसा
नहीं लिखना चाहिए जो की ग़लत सूचना दे या फिर भ्रम में डाले अनुवाद एवं संपादन का
कार्य करने के लिए भाषा कौशल विकसित करना चाहिए|
2. उनकी खुद की कोचिंग
संस्थान प्रारंभ किया जा सकता है जिसमे अपनी योग्यता के अनुसार बच्चों को शिक्षा
दी जा सकती है|
3. गतिविधि संस्थान प्रारंभ
किया जा सकता है जिसमे तकनीकी शिक्षा दी जा सकती है जैसे की कंप्यूटर ट्रेनिंग
संस्थान
4.
कई महिलाये समूह में एकत्र हो कर स्वयं सहायता
समूह बना कर कई प्रकार के कार्य कर सकती है|
5.
उक्त सभी कार्यों को करने के लिए यदि संभव हो
तो दूरस्थ माध्यम से डिग्री या डिप्लोमा लिया जा सकता है जिससे की बेहतर तरीके से
काम किया जा सके| साथ ही यदि संभव हो तो आगे जाने विकल्प मिलने पर मुख्या धारा से
जुडा जा सके|
कैरियर को बीच में किन्ही कारणों से छूट जाने
के बाद पुनः मुख्य धारा में आने के लिए शैक्षणिक क्षेत्र आगे आने के लिए भी ऐसी
महिलाओ के लिए सीमित विकल्प है जिनके द्वारा वह अपने शैक्षिक गतिविधियों को सतत
रूप से आगे ले जा सकती है|
1. विभिन्न वैज्ञानिक
संगठन जैसे भारत सरकार का विज्ञान और तकनीकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रोधोयोगिकी
विभाग (डीबीटी), यूनिवर्सिटी
ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की महिला वैज्ञानिक योजना के तहत विभिन्न वर्गों की
छात्रवृत्ति के लिए
2. अनुसंधान के लिए छात्रवृत्ति
मूल में / एप्लाइड साइंस (WOS-ए)
3. एस एंड टी में अनुसंधान
के लिए छात्रवृत्ति - सामाजिक कार्यक्रमों आधारित (WOS-बी)
4. स्वरोजगार के लिए
इंटर्नशिप (WOS-सी)
5. विभिन्न शैक्षिक संस्थान
प्रायोजित परियोजनाओं में शामिल में शामिल होने के लिए विज्ञापन प्रसारित करते है
जिनमे योग्यता के अनुसार शामिल हुआ जा सकता है।
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